बाँदा- फांसी की सजा होने पर खूब रोया दरिंदा

3 वर्षीय मासूम बालिका के साथ आरोपी ने की थी दरिंदगी

इलाज के दौरान कानपुर में मासूम की थम गई थी सांसे

UP TIMES NEWS- मासूम बालिका के साथ दरिंदगी करने के साथ उसकी हत्या करने के मामले में आरोपी को जैसे ही फांसी की सजा का ऐलान हुआ। तो वह दहाड़े मार कर रोता रहा।
समाज को झकझोर देने वाले क्रूरतम अपराध को अंजाम देने वाले दोषी सुनील निषाद ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसे फांसी की सजा मुकर्रर की जाएगी। सोमवार दोपहर दो बजे उसे अदालत लाया गया। दोषी शाम छह बजकर 15 मिनट से अधिक समय तक कटघरे में खड़ा रहा। साढ़े पांच बजे उसे सजा सुनाई गई तो वह दहाड़े मारकर रो पड़ा। बाद में गुमशुम हो गया। चिल्ला थाना क्षेत्र के एक गांव में तीन जून को शाम को दोषी 30 वर्षीय सुनील ने पड़ोस में घर के बाहर खेल रही तीन वर्षीय मासूम बच्ची से गुटखा मंगाया था। मासूम बच्ची गुटखा देने गई तो युवक ने उसे वहीं पर दबोच लिया और उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था। पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान आरोपी को पकड़ा था। मुठभेड़ के दौरान उसके पैर में गोली भी लगी थी। तब आरोपी पुलिस की पकड़ में आया था। मामले में पुलिस ने बहुत तेजी दिखाई और चार्जशीट को न्यायालय में पेश की थी। सोमवार को उसे दोपहर दो बजे उसे अदालत लाया गया। कटघरे में रहने के दौरान उसके चेहरे पर बेचैनी दिखाई दे रही थी। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट प्रदीप कुमार मिश्रा की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। करीब साढ़े पांच बजे फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद दोषी सुनील दहाड़े मारकर रो पड़ा। थोड़ी देर रोने के बाद उसने अपने आंसू पोछे और गुमशुम हो गया। कटघरे में अकेले मौजूद आरोपी सुनील कभी फर्श पर बैठ जाता तो कभी कटघरा पकड़कर खड़ा रहता था। सजा के बाद जैसे ही आरोपी को जेल ले जाया गया। तो वहां भी आरोपी गुमसुम हालत में रहने के साथ रोता रहा। पुलिस की पैरवी के अलावा अदालत के फैसले पर परिवार ने खुशी जताते हुए कहा है कि ऐसे दरिंदों को फांसी से कम सजा नहीं होनी चाहिए। उनकी बेटी के लिए यह सजा सांत्वना का काम करेगी।
एसपी ने खुद कराई पैरवी
जघन्य अपराध के मामले में एसपी पलाश बंसल ने खुद मुकदमे में प्रभावी पैरवी कराई। एसपी के निर्देशन पर विवेचक ने ठोस साक्ष्य संकलित किये। सभी साक्ष्यों को विवेचना में शामिल किया गया। तब कहीं जाकर आरोपी को फांसी की सजा हो सकी।

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