जिला सांख्यिकी अधिकारी महोबा द्वारा लिखी गई निर्वाण की दीप पुस्तक
UP TIMES NEWS- महोबा जनपद में तैनात जिला सांख्यिकी अधिकारी द्वारा लिखी गई”निर्वाण के दीप” पुस्तक का कमिश्नर के द्वारा किया विमोचन किया गया।
अजीत कुमार आयुक्त चित्रकूट धाम मंडल, द्वारा जनपद महोबा में ए.डी.एस.टी. ओ. के पद पर कार्यरत मुकेश कुमार (आनंद अमितेष) के द्वितीय काव्य संग्रह “निर्वाण के दीप” का विमोचन आयुक्त सभागार, बाँदा में किया गया; आनंद अमितेष उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के मूल निवासी हैं। उनकी यह पुस्तक भारत के मशहूर प्रकाशक मंजुल पब्लिशिंग हाउस, भोपाल से प्रकाशित होकर मार्केट में आई है जो एमेज़ॉन पर उपलब्ध है। आनंद अमितेष की प्रथम पुस्तक “जल उठे चराग़” भी एक अन्य बड़े प्रकाशक राजकमल समूह के लोक भारती प्रकाशन, इलाहबाद से वर्ष २०१८ में प्रकाशित हुई। जिसकी भूमिका स्व. पद्मश्री एवं महाकवि गोपालदास नीरज ने स्वयं लिखी। अमितेष स्वयं को सौभाग्यशाली मानते कि नीरज के जीवन के अंतिम दिनों में वे उनके बेहद निकट रहे। “निर्वाण के दीप” के विमोचन के समय उन्होंने नीरज से मिले प्रेम और स्नेह को याद किया। अपनी द्वितीय पुस्तक “निर्वाण के दीप” के काव्य के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि ध्यान की गहरी स्थिति में प्रार्थना पूर्ण ह्रदय से अनुग्रह की दशा में काव्य के रूप में जो भाव अभिव्यक्त हुए, उन भावों को उन्होंने काव्य के रूप में अभिव्यक्ति दी है। उन्होंने बताया कि समय की दो धाराऐं मानी जाती हैँ, एक होरीज़ोंटल और दूसरी वर्टिकल। मन सदैव समय की होरीज़ोंटल धारा में ही जीता है। इसलिए हमने समय को भी अतीत, भविष्य और वर्तमान तीन भागों में विभक्त किया है और समय को विभक्त करके जीने से ही जीवन के कैदखाने निर्मित होते हैँ। लेकिन समय की जो वर्टिकल धारा है वहां न अतीत होता है और न भविष्य होता है, वहां अविछिन्न रूप से केवल वर्तमान ही रहता है। ध्यान की गहन भाव दशा में ज़ब हम अपने ही मन का अतिक्रमण करते हुए समय की वर्टिकल में प्रवेश करते हैँ तब हमें जीवन की शाश्वतता का बोध होता है; अंजान शिखरों से अपने ही अमरत्व की कोई ख़बर मिलनी प्रारम्भ होती है। वहीं हमें परमात्मा के अनुभव की प्रतीती होती है। केवल उन भाव दशाओं में प्रवेश के उपरान्त ही “निर्वाण के दीप” जैसा काव्य संग्रह जन्म लेता है। उनके द्वारा लिखी हुई दोनों ही पुस्तकों ने काव्य की ऊंचाईयों एवं पाठकों के ह्रदय को गहराई से स्पर्श किया है। ओशो, बुद्ध, कबीर, नानक,मेहेर बाबा, लाओत्सो, मंसूर, सरमद, संत भीखा, गुलाल और बुल्लेशाह के साथ भारत की पूरी संत परम्परा को याद किया। इस अवसर पर आयुक्त चित्रकूट धाम मंडल अजीत कुमार ने निर्माण के दीप पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि सजग एवं शांत रहने से बड़ी सफलता मिलती है उन्होंने निर्माण के दीप पुस्तक लिखने वाले अपर जिला सांख्यिकी अधिकारी महोबा को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक से के ज्ञान के माध्यम से समाज को लाभ मिलेगा उन्होंने कहा कि जब हम ज्ञान की स्थिति में होते हैं तो श्रेष्ठ चीज प्राप्त होती हैं उन्होंने रविंद्र नाथ टैगोर की गीतांजलि पुस्तक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इसको गहराई से अध्ययन करने पर ज्ञान प्राप्त होगा।