बाघिन के आने से दहशत ट्रेंकुलाइज करने की अनुमति मिली
एन.के.मिश्रा
लखीमपुर खीरी ।मरौचा-नगला गांव के बीच गन्ने के खेत से चार माह पहले पकड़कर जंगल में छोड़ी गई बाघिन फिर उसी जगह लौट आई है। बाघिन छुट्टा जानवरों का शिकार कर रही है। अब इसे फिर से ट्रेंकुलाइज (बेहोश) करने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए दुधवा के पशु चिकित्सक डॉ दया शंकर के नेतृत्व में एक टीम लगाई गई है।दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन की पलिया रेंज में चार माह पहले मरौचा गांव के आसपास एक बाघिन सक्रिय थी। उसने एक बालक को मौत के घाट उतार दिया था। कई लोगों पर हमला किया था। 29 नवंबर 2022 को इस बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने के बाद रेडियो कॉलर लगाया गया और इसे मरौचा से दूर जंगल में छोड़ दिया गया थाचार माह तक इधर-उधर भटकने के बाद बाघिन फिर अपने पुराने ठिकाने मरौचा लौट आई है। बाघिन ने पिछले कुछ दिनों में गांव के आसपास कई जानवरों का शिकार किया है। हलांकि अभी तक किसी इंसान पर हमला नहीं किया। वन विभाग मरौचा की बाघिन के लौटने से हलकान है।
ट्रेंकुलाइज करने की अनुमति मिलीदुधवा टाइगर रिजर्व के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक/एफडी बी प्रभाकर ने मरौचा की बाघिन के फिर लौटने की पुष्टि करते हुए बताया कि यह बाघिन इंसानों के लिए भी खतरनाक हो सकती है। इस पर प्रदेश के वन मुख्यालय से बाघिन को फिर से ट्रेंकुलाइज करने की अनुमति मिल गई है।
इसके लिए दुधवा के पशु चिकित्सक डॉ दया शंकर के नेतृत्व में एक टीम लगाई गई है। बाघिन के रेडियो कॉलर लगा होने से इसकी लोकेशन मिलने में आसानी होगी। इसके चलते जल्दी ही यह बाघिन ट्रेंकुलाइज की जा सकेगी। उधर, बाघिन के आने से इलाके में दहशत व्याप्त है।